Silver rally forecast: 2025 में चांदी (Silver) की कीमतें लगातार चढ़ रही हैं। इसकी बड़ी वजह वैश्विक औद्योगिक मांग का तेज होना और सप्लाई में लगातार कमी है। कोटक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Kotak AMC) में वाइस प्रेसिडेंट और फंड मैनेजर सतीश डोंडापाटी (Satish Dondapati) का मानना है कि यह तेजी सिर्फ एक अस्थायी उछाल नहीं, बल्कि लंबे समय के स्ट्रक्चरल बदलावों की ओर इशारा करती है।गोल्ड-सिल्वर रेशियो गिराडोंडापाटी के अनुसार, ‘चांदी की कीमतों में हालिया उछाल की सबसे बड़ी वजह औद्योगिक मांग और सप्लाई में आ रही रुकावटें हैं, जो दुनिया भर में चल रही भू-राजनीतिक अस्थिरता से और बढ़ गई हैं।’संबंधित खबरेंएक अहम संकेतक, गोल्ड-सिल्वर रेशियो (Gold-Silver Ratio) 100 से गिरकर अब लगभग 93 पर आ चुका है। यह बताता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी औंस चांदी लगेगी। ऐतिहासिक रूप से यह अनुपात करीब 60 रहता है।कितना बढ़ सकता है चांदी का भावचांदी का अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुधवार (25 जून) को भाव $36.21 है। अगर गोल्ड-सिल्वर रेशियो फिर उसी स्तर पर जाता है और सोना $3,400 प्रति औंस के आसपास बना रहता है, तो चांदी की कीमत $48.57 प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इस हिसाब से चांदी के भाव में 34.13% उछाल आ सकता है।अगर भारतीय बाजार की बात करें, तो यहां बुधवार को चांदी ₹1,08,900 प्रति किलो थी। इसकी कीमतों में अगर 34.13% उछाल आता है, तो यह ₹1.46 लाख प्रति किलो तक जा सकती है।औद्योगिक मांग बनी प्रमुख ड्राइवरडोंडापाटी कहते हैं, ‘चांदी अब भी सोने के मुकाबले अंडरवैल्यूड है। चांदी डुअल नेचर यानी कीमती धातु के साथ इंडस्ट्रियल मेटल होना इसकी डिमांड को और बढ़ा रहा है।’आज वैश्विक चांदी खपत का 50% से अधिक हिस्सा सौर ऊर्जा (Photo voltaic Power), इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी इंडस्ट्री से आता है। एक सोलर पैनल में औसतन 20 ग्राम चांदी लगती है। इसके अलावा चांदी का इस्तेमाल EV बैटरियों, वायरिंग, सेंसर और यहां तक कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) टेक्नोलॉजी में भी होता है।सप्लाई संकट से निवेशकों की बढ़ी दिलचस्पी2025 लगातार पांचवां साल होगा जब वैश्विक चांदी सप्लाई में घाटा देखने को मिलेगा। इस साल करीब 14.9 करोड़ औंस (149 million ounces) की कमी का अनुमान है। मुख्य उत्पादक देश जैसे मेक्सिको (Mexico) और चीन (China) में भंडार घट रहे हैं। रीसाइक्लिंग (Recycling) की दर स्थिर है और खनन (Mining) में अयस्क की गुणवत्ता गिर रही है। ऊपर से व्यापारिक टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव ग्लोबल सप्लाई चेन को और मुश्किल बना रहे हैं।डोंडापाटी का मानना है कि निवेश के नजरिए से भी चांदी का आकर्षण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “कम कीमत की वजह से यह सोने की तुलना में ज्यादा सुलभ है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती उपलब्धता ने युवा निवेशकों को भी इसकी ओर खींचा है।”अगले 6–12 महीनों में क्या हो सकता है?एक्सपर्ट की मानें तो आने वाले 6 से 12 महीनों में चांदी की कीमतों में और तेजी आ सकती है। इसकी वजहें हैं- मजबूत औद्योगिक मांग, कमजोर अमेरिकी डॉलर, सीमित सप्लाई और पॉजिटिव मैक्रोइकॉनॉमिक ट्रेंड।हालांकि, डोंडापाटी यह भी चेतावनी देते हैं कि ब्याज दरों (Curiosity Charges) में उतार-चढ़ाव, डॉलर में मजबूती या इंडस्ट्रियल डिमांड में गिरावट चांदी के इस बुलिश ट्रेंड को थाम सकती है।यह भी पढ़ें : सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक, घर-जमीन खरीदते समय जरूर चेक करें ये दस्तावेज
