SWP vs ELSS: रिटायरमेंट इनकम या टैक्स बचत? म्यूचुअल फंड की कौन-सी स्कीम आपके लिए बेस्ट?


SWP vs ELSS: रिटायरमेंट इनकम या टैक्स बचत? म्यूचुअल फंड की कौन-सी स्कीम आपके लिए बेस्ट?
SWP Vs ELSS: हर कोई चाहता है कि रिटायरमेंट के बाद उसके पास आमदनी का नियमित जरिया रहे। खासकर, दिन-ब-दिन बढ़ती महंगाई, मेडिकल खर्च और नौकरी की अनिश्चितता को देखते हुए। यह चिंता उन लोगों को और भी ज्यादा रहती है, जिन्हें रिटारयमेंट के बाद पेंशन नहीं मिलती।ऐसे में एक नियमित और टैक्स-फ्रेंडली इनकम सोर्स होना बेहद जरूरी हो गया है, जो रिटायर होने के बाद आपकी जरूरतों को पूरा कर सके। इसके लिए दो म्यूचुअल फंड विकल्प सामने आते हैं- सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)।इन दोनों ही स्कीम में पैसा म्यूचुअल फंड्स में ही जमा होता है, लेकिन इनके काम करने का तरीका और मकसद एकदम अलग होता है। आइए इसे SWP और ELSS को डिटेल समझते हैं और जानते हैं कि किसमें निवेश करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।संबंधित खबरेंSWP: क्या आपको हर महीने पैसा चाहिए?Systematic Withdrawal Plan यानी SWP आपने म्यूचुअल फंड में लगे पैसे को निकालने का स्मार्ट तरीका है। इससे आप हर महीने, हर तीन महीने या साल में एक तय रकम निकाल सकते हैं।जैसे मान लीजिए आपने ₹10 लाख एक फंड में लगाए। आप हर महीने ₹10,000 निकालना शुरू करते हैं। तो बाकी पैसा फंड में ही लगा रहेगा और उस पर रिटर्न भी मिलता रहेगा, लेकिन आपको तय इनकम भी मिलती रहेगी।SWP क्यों फायदेमंद है? SWP में आपको हर महीने तय इनकम मिलती है, वो भी बिना पूरा पैसा निकाले। आप खुद तय करते हैं कि कितनी रकम और कितनी बार निकालनी है। जो पैसा फंड में रहता है, वो निवेशित रहता है और रिटर्न देता है। यह बैंक एफडी जैसे विकल्पों से ज्यादा टैक्स फ्रेंडली होता है। एकसाथ मोटी रकम निकालने या बाजार की टाइमिंग की जरूरत नहीं पड़ती। यह रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या किसी भी बड़े खर्च के लिए काम आता है। जरूरत हो तो आप इसे कभी भी रोक या बदल सकते हैं। अगर आप रिटायर हो चुके हैं, या सैलरी के साथ कुछ एक्स्ट्रा इनकम भी चाहिए, तो SWP बहुत काम का विकल्प साबित हो सकता है। हालांकि, SWP का असल फायदा आप तभी उठा सकते हैं, जब आप म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) या एकमुश्त के जरिए बड़ा फंड तैयार कर लें।ELSS vs SWP: किसमें क्या फायदे? SWP (Systematic Withdrawal Plan) ELSS (Fairness Linked Financial savings Scheme) मकसद हर महीने/तय समय पर इनकम लेना टैक्स बचाना और लंबी अवधि में ग्रोथ इनकम मिलती है? हां, नियमित इनकम मिलती है नहीं, 3 साल बाद ही पैसा निकाला जा सकता है टैक्स बेनिफिट नहीं, निकासी पर LTCG टैक्स लागू हां, ₹1.5 लाख तक की छूट (धारा 80C के तहत) लिक्विडिटी पूरी तरह फ्लेक्सिबल, कभी भी रोक सकते हैं 3 साल लॉक-इन, बीच में नहीं निकाल सकते जोखिम (Threat) म्यूचुअल फंड के टाइप पर निर्भर हाई रिस्क (क्योंकि 80% पैसा शेयरों में) इनवेस्टमेंट फोकस इनकम और पूंजी सुरक्षित रखना ग्रोथ और टैक्स सेविंग रिटायरमेंट के लिए? हां, काफी सही नहीं, जब तक लॉक-इन खत्म न हो ELSS: टैक्स बचाने और पैसा बढ़ाने का तरीकाअब बात करते हैं Fairness Linked Financial savings Scheme यानी ELSS की। ELSS असल में एक ऐसा म्यूचुअल फंड होता है, जिसमें कम से कम 80% पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इसका मकसद होता है, टैक्स बचाना और लंबी अवधि में पैसा बढ़ाना।इसमें आप जितना भी पैसा निवेश करते हैं, उसमें से ₹1.5 लाख तक की रकम पर आप इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट ले सकते हैं। हालांकि, यह छूट ओल्ड टैक्स रीजीम में ही मिलती है।ELSS की खास बातें यह पूरी तरह मार्केट से जुड़ा होता है यानी बाजार के हिसाब से उतार-चढ़ाव होंगे, लेकिन मुनाफा ज्यादा मिलने की संभावना रहती है। इस फंड में 3 साल का लॉक-इन होता है। मतलब, 3 साल से पहले आप पैसा नहीं निकाल सकते। अलग-अलग सेक्टरों और कंपनियों में पैसा लगाया जाता है, ताकि रिस्क थोड़ा बंट जाए। आप जितना चाहें उतना पैसा इसमें डाल सकते हैं, लेकिन टैक्स छूट सिर्फ ₹1.5 लाख तक ही मिलेगी। ELSS से आप 3 साल बाद पैसा निकाल सकते हैं। तब चाहें तो धीरे-धीरे पैसा निकालकर इसे भी एक तरह का SWP बना सकते हैं, लेकिन असल मकसद इनकम नहीं, ग्रोथ और टैक्स बचत होता है।SWP vs ELSS: किसमें पैसा लगाना रहेगा सही?इस सवाल का जवाब काफी हद तक आपकी जरूरत पर निर्भर करता है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आपकी जरूरत है- हर महीने फिक्स इनकम, जैसे रिटायरमेंट के बाद खर्च चलाना या बच्चों की फीस भरना, तो SWP बेहतर है। लेकिन अगर आपका फोकस है टैक्स बचाना और लंबी अवधि में पैसा बढ़ाना, तो ELSS ज्यादा मुफीद हो सकता है।इसका मतलब कि दोनों फाइनेंशियल टूल्स अच्छे हैं, फर्क बस आपकी जरूरत का है। सही चुनाव आपके फाइनेंशियल गोल पर निर्भर करता है कि आपको रिटायरमेंट के बाद नियमित आय चाहिए, या फिर टैक्स बचाने के साथ बड़ा फंड तैयार करना है।यह भी पढ़ें : SIP Tax Guidelines: म्यूचुअल फंड से मुनाफे पर कितना और कैसे लगता है टैक्स, समझिए पूरा कैलकुलेशन

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