सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) उन बुजुर्ग निवेशकों के लिए एक शानदार स्कीम है जो रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और गारंटीड इनकम चाहते हैं। इस स्कीम में खाता अकेले या जीवनसाथी के साथ संयुक्त रूप से खोला जा सकता है।लेकिन अगर पति या पत्नी की मृत्यु हो जाए, तो खाता कैसे संभालें, क्या विकल्प हैं, और क्या नियम हैं, इसे जानना बेहद जरूरी है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:मान लीजिए एक बुजुर्ग दंपति के नाम दो SCSS खाते हैं: पहले खाते में पति मुख्य धारक हैं और पत्नी दूसरे। कुल जमा ₹24.9 लाख। दूसरे खाते में पत्नी मुख्य धारक हैं और पति दूसरे। कुल जमा ₹21 लाख। संबंधित खबरेंअब दुर्भाग्यवश किसी एक जीवनसाथी की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में अब क्या-क्या करना होगा?क्या मृत्यु की सूचना बैंक को देनी जरूरी है?हां, बिल्कुल। आपको तुरंत बैंक को जीवनसाथी की मृत्यु की जानकारी देनी चाहिए और मृत्यु प्रमाणपत्र (demise certificates) जमा करना चाहिए। इससे आप अनचाही दिक्कतों से बच सकते हैं।मृत व्यक्ति मुख्य धारक वाले खाते का क्या होगा?SCSS के नियमों के मुताबिक, अगर पति-पत्नी दोनों ने अलग-अलग खाते खोले हैं और उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाए, तो मृत व्यक्ति का खाता जारी नहीं रह सकता। इसलिए जिस खाते में मृत व्यक्ति (जैसे पत्नी) मुख्य धारक थीं, उसे बंद करना पड़ेगा।उस खाते में मृत्यु की तारीख तक का पूरा ब्याज (अब 8.2%) मिलेगा। उसके बाद खाते के बंद होने तक का ब्याज सामान्य सेविंग रेट (लगभग 4%) के हिसाब से दिया जाएगा। आपको बैंक से अनुरोध करके यह खाता बंद करवाना होगा।क्या दूसरा व्यक्ति स्कीम में और निवेश कर सकता है?अगर पति के नाम वाले SCSS खाते में पहले से ₹24.9 लाख जमा हैं, तो वे और ₹5.1 लाख तक निवेश कर सकते हैं। इस राशि को अपने ही खाते में नया डिपॉजिट करके किया जा सकता है।बची हुई राशि का क्या करें?SCSS की लिमिट पूरी हो जाने के बाद बचे हुए पैसों को इन विकल्पों में लगाया जा सकता है: पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) पोस्ट ऑफिस FD या बैंक FD (विश्वसनीय बैंक चुनें) वरिष्ठ नागरिकों के लिए अन्य सरकारी योजनाएं अगर आपकी आमदनी का कोई अन्य स्रोत नहीं है, तो गारंटीड और कम जोखिम वाले निवेश बेहतर रहेंगे।क्या बेटे या किसी और को खाते में जोड़ सकते हैं?इसका जवाब है, नहीं। SCSS में संयुक्त खाता सिर्फ जीवनसाथी के साथ ही खोला जा सकता है। हालांकि, आप अपने बेटे या बेटी को नामांकित (nominee) कर सकते हैं। इससे आपकी मृत्यु के बाद वह खाता क्लेम कर सकेगा, लेकिन वह द्वितीय धारक नहीं बन सकता। आप अकाउंट को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से भी सलाह ले सकते हैं।यह भी पढ़ें : Saving Ideas: लाइफस्टाइल से समझौता किए बगैर करना चाहते हैं बचत? ये हैं 6 आसान तरीके
