Residence Insurance coverage: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान कई जगह पर घरों को काफी नुकसान पहुंचा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अगर युद्ध में घर को नुकसान हो, तो बीमा कंपनियां उसका भुगतान करेंगी? यह सवाल खासकर सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को अधिक परेशान कर रहा है, जहां युद्ध के चलते नुकसान की आशंका अधिक है।एक्सपर्ट का मानना है कि इस सवाल जवाब काफी जटिल है। हालांकि, इंश्योरेंस इंडस्ट्री का रुख स्पष्ट है, ‘युद्ध’ या इससे जुड़ी कोई भी स्थिति बीमा कवर के दायरे से बाहर होती है।बीमा पॉलिसी में ‘युद्ध’ से जुड़े क्लेम क्यों खारिज होते हैं?संबंधित खबरेंभारत में होम इंश्योरेंस पॉलिसी में आमतौर पर स्पष्ट लिखा होता है कि ‘युद्ध, विदेशी आक्रमण, सैन्य कार्रवाई या विद्रोह’ से नुकसान बीमा कवर में नहीं आएगा। इसमें ‘युद्ध’ की परिभाषा भी बेहद व्यापक होती है, “युद्ध, आक्रमण, विदेशी दुश्मनों की गतिविधि, घोषित या अघोषित युद्ध जैसे हालात, गृहयुद्ध, विद्रोह, सैन्य विद्रोह या सत्ता पर अवैध कब्जा।”एक्सपर्ट के मुताबिक, बीमा कंपनियां युद्ध की परिभाषा को इतना व्यापक बनाकर उन असामान्य और व्यापक जोखिमों से बचना चाहती हैं, जिन्हें न तो आसानी से मापा जा सकता है और न ही बीमा योग्य बनाया जा सकता है।सीमावर्ती इलाकों के लोगों के पास क्या विकल्प हैं?रियल एस्टेट या आवासीय संपत्ति के लिए अभी तक कोई ‘वॉर-रिस्क अंडरराइटिंग’ मॉडल नहीं है, जैसा कि एविएशन या मरीन इंश्योरेंस में देखने को मिलता है। चूंकि, हवाई जहाज और समुद्री जहाज का काम युद्ध में पड़ता है, इसलिए कंपनियां उन्हें ऐसा बीमा कवरेज (insurance coverage protection) देती हैं, जो युद्ध, आक्रमण, सैन्य संघर्ष या उससे जुड़े खतरों को कवर करे।लेकिन, एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह के खतरे के लिए बीमा पॉलिसी को एक्सटेंड करना न तो व्यवहारिक है, न ही मौजूदा कानून इसकी अनुमति देते हैं।क्या आतंकवादी हमले कवर होते हैं?बीमा पॉलिसियों में आतंकी घटनाओं के लिए अलग से ऐड-ऑन कवर का विकल्प मौजूद होता है। अगर आप पॉलिसी लेते वक्त ‘टेररिज्म कवरेज’ जोड़ते हैं, तो घर को आतंकवादी हमले से नुकसान पहुंचने पर क्लेम मिल सकता है।लेकिन, यह भी काफी जटिल मामला है। जैसे कि अगर नुकसान किसी देश की सेना के हमले से हुआ है, तो वह ‘युद्ध’ की कैटेगरी में आएगा, न कि आतंकवाद की। इस स्थिति में बीमा कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है।‘राजनीतिक हिंसा’ के लिए कुछ सीमित विकल्पकुछ बीमा कंपनियां विशेष रूप से पॉलिटिकल वायलेंस या सिविल कमोशन कवर (Civil Commotion Cowl) देती हैं, जैसे कि दंगा-फसाद, दुकान-घर तोड़ना या फिर जलाना। हालांकि यह विकल्प चुनिंदा पॉलिसियों में ही उपलब्ध है।ऐसी स्थिति में क्लेम करने के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने की पूरी जिम्मेदारी ग्राहक पर होती है। इसमें तकनीकी मूल्यांकन के साथ मीडिया प्रमाण भी जरूरी होते हैं। बीमा ग्राहक को पुलिस FIR, फोटो, मरम्मत का अनुमान और बिल सबकुछ देना पड़ सकता है। उन्हें किसी अखबार, न्यूज चैनल या सरकारी नोटिफिकेशन से सरकारी दंगे की पुष्टि करानी होती है।सीमावर्ती इलाकों के घर मालिक क्या करें?बीमा कंपनियों के लिए युद्ध और उससे जुड़े नुकसान को कवर करना अब भी मुमकिन नहीं है। ऐसे में सीमावर्ती नागरिकों को सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि युद्ध की स्थिति में बीमा शायद आपके साथ न खड़ा हो।हालांकि, यह हो सकता है कि सरकार बाद में राहत और पुनर्वास के दौरान आर्थिक मदद दे। ऐसे में आपको सभी दस्तावेज, बिल और फोटो सुरक्षित रखने चाहिए। आप अपनी मौजूदा बीमा पॉलिसी की बारीकी से समीक्षा कर सकते हैं और बीमा कंपनी से पूछ सकते हैं कि क्या कोई अतिरिक्त कवरेज उपलब्ध है। अगर हो, तो आप उसका लाभ उठा सकते हैं। या फिर किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से भी सलाह मशविरा कर सकते हैं।यह भी पढ़ें : सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी बना सकती है दिवालिया, जानिए क्यों जरूरी है हेल्थ, मोटर और होम इंश्योरेंस?
