PF के योगदान, निकासी और ब्याज पर कैसे लगता है टैक्स? क्या हैं कर्मचारी और नियोक्ता के लिए नियम?


PF के योगदान, निकासी और ब्याज पर कैसे लगता है टैक्स? क्या हैं कर्मचारी और नियोक्ता के लिए नियम?
PF withdrawal tax: एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) भारत में रिटायरमेंट के लिए सबसे सशक्त स्कीम मानी जाती है। इससे देशभर में 7 करोड़ से अधिक मेंबर जुड़े हैं। इसकी देखरेख कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) करता है, जो भारत सरकार की वैधानिक संस्था है।EPF स्कीम के तहत कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों नियमित योगदान करते हैं। लेकिन यह जानना जरूरी है कि इन योगदानों और ब्याज पर टैक्स कब और कैसे लगता है। साथ ही, EPF की निकासी पर टैक्स से कैसे बचा जा सकता है, इसके भी स्पष्ट नियम तय किए गए हैं।PF को टैक्स छूट कब मिलती है?संबंधित खबरेंEPFO के अनुसार, किसी भी भविष्य निधि खाते को आयकर विभाग से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य है। केवल मान्यता प्राप्त (Recognised Provident Fund) खातों को ही आयकर अधिनियम, 1961 के तहत टैक्स छूट और अन्य लाभ मिलते हैं।नियोक्ता के योगदान पर कैसे लगता है टैक्स?EPF नियमों के तहत कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 12% हिस्सा PF में जमा करता है। उतना ही योगदान नियोक्ता यानी उसकी कंपनी या संगठन को भी करना होता है।नियोक्ता का योगदान अगर 12% से ज्यादा हो जाता है, तो अतिरिक्त रकम कर्मचारी की आय में जोड़ दी जाती है और उस पर टैक्स लगाया जाता है। साथ ही, अगर नियोक्ता का सालाना योगदान ₹7.5 लाख से अधिक हो, तो वह Perquisite माना जाएगा यानी कर्मचारी को सैलरी के अलावा मिलने वाला अन्य लाभ। फिर उस पर कर्मचारी की टैक्स स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स लगेगा।नियोक्ता को आयकर में राहत भी मिलती है। वह अपने योगदान का 12% तक का हिस्सा अपनी आय से घटाकर टैक्स छूट पा सकता है।कर्मचारी के योगदान कैसे मिलती है टैक्स राहत?कर्मचारी EPF में अपने योगदान पर ₹1.5 लाख तक की छूट पा सकता है। यह छूट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत मिलती है। हालांकि, इसका लाभ सिर्फ ओल्ड टैक्स रीजीम को चुनने वाले कर्मचारी ही उठा सकते हैं। EPF पर मिलने वाला ब्याज तब तक टैक्स-फ्री रहता है, जब तक ब्याज दर 9.5% से अधिक न हो।हालांकि, बजट 2021 में एक बड़ा बदलाव किया गया। वित्त वर्ष 2021-22 से अगर कर्मचारी का EPF और VPF में किया गया कुल योगदान ₹2.5 लाख से अधिक हो जाता है, तो उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा। यदि कर्मचारी के खाते में केवल उसका ही योगदान होता है और नियोक्ता का कोई योगदान नहीं है, तो यह लिमिट ₹5 लाख तक हो जाती है।इन मामलों में आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब से दो तरह के PF अकाउंट बनाए जाएंगे। एक में टैक्स-योग्य ब्याज की जानकारी होगी और दूसरे में टैक्स-फ्री ब्याज की। दोनों की ब्याज स्टेटमेंट भी अलग-अलग जारी की जाएगी।EPF की निकासी पर टैक्स और TDS नियमEPF की निकासी दो तरीके से होती है- आंशिक और पूर्ण। EPFO कर्मचारियों को शादी, शिक्षा, घर खरीदने या इलाज जैसे प्रमुख कारणों से आंशिक निकासी (Advance Withdrawal) की सुविधा देता है। यह पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है।वहीं, पूर्ण निकासी (Last Withdrawal) पर टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आपने EPFO की सदस्यता कितने वर्षों तक रखी। अगर आपने 5 साल से अधिक समय तक EPF में योगदान किया है, तो निकासी पूरी तरह टैक्स-फ्री रहेगी। वहीं, 5 साल से कम समय में निकासी की जाती है, तो टैक्स लगेगा। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में टैक्स से राहत मिलती है: नौकरी स्वास्थ्य कारणों से छोड़ना। कंपनी का बंद हो जाना। प्रोजेक्ट का खत्म हो जाना। इन परिस्थितियों में भले ही सदस्यता 5 साल से कम रही हो, निकासी टैक्स-फ्री मानी जाती है। वहीं, अगर आप नौकरी छोड़ने के बाद स्वेच्छा से PF निकालते हैं और 5 साल पूरे नहीं हुए हैं, तो TDS लागू होगा। अगर PAN लिंक है, तो 10% TDS। अगर PAN लिंक नहीं है, तो 34.608% TDS। अगर निकासी राशि ₹50,000 से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा। TDS से बचाव का रास्ता: फॉर्म 15G और 15Hअगर किसी शख्स की कुल आय टैक्स छूट सीमा से कम है, तो वह TDS से बच सकता है। इसके लिए आयकर विभाग ने फॉर्म 15G और 15H भरने की सुविधा दी है। फॉर्म 15G: ऐसे निवासी व्यक्ति भर सकते हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम है और कुल आय टैक्स सीमा से कम है। फॉर्म 15H: 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। इन फॉर्मों को भरकर EPF निकासी पर TDS से छूट ली जा सकती है, बशर्ते आय निर्धारित सीमा से नीचे हो।यह भी पढ़ें : क्या देर से EPF इंटरेस्ट मिलने पर होता है नुकसान? क्या पूरे अमाउंट पर नहीं कैलकुलेट होता इंटरेस्ट

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