ITR Submitting: वित्त वर्ष 2024-25 (Evaluation 12 months 2025-26) के लिए आयकर विभाग ने ITR-2 फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है। यह फॉर्म उन इंडिविजुअल और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है, जिन्हें व्यापार या पेशे (Enterprise or Career) से कोई आय नहीं होती। इस बार फॉर्म में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका असर लाखों टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा।ITR-2 किसे भरना होगा?ITR-2 उन करदाताओं के लिए है जिनकी आय खास स्रोतों से होती है। जैसे कि: वेतन या पेंशन एक या अधिक हाउस प्रॉपर्टी से किराया पूंजीगत लाभ (शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि की बिक्री से) अन्य स्रोतों से आय (जैसे लॉटरी, घुड़दौड़, कानूनी सट्टेबाजी आदि) ₹5,000 से अधिक की कृषि आय NRI (Non-Resident) या RNOR (Resident however Not Ordinarily Resident) इंडिविजुअल संबंधित खबरेंइसके अलावा अगर किसी की आय ₹50 लाख से अधिक है, तो भी वह ITR-2 भर सकता है। ITR-2 फॉर्म कंपनी के निदेशकों और अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए अनिवार्य है। लिस्टेड इक्विटी में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ₹1.25 लाख से अधिक कमाने वाले को भी ITR-2 फाइल करना होता है।अगर आप ITR-1 के लिए पात्र हैं, तो आप चाहें तो ITR-2 भी फाइल कर सकते हैं। हालांकि, पहले कम जटिल ITR-1 का विकल्प चुनना समझदारी होती है, बशर्ते आप उसकी सभी शर्तें पूरी करते हों।ITR-2 फॉर्म में क्या बदलाव हुए हैं? कैपिटल गेन में नई टाइमलाइन: वित्त अधिनियम 2024 के अनुसार, अब फॉर्म में आपको यह बताना होगा कि आपने अपनी पूंजीगत संपत्ति कब बेची- 23 जुलाई 2024 से पहले या बाद में। इसकी वजह यह है कि उस तारीख से पूंजीगत लाभ पर टैक्सेशन रेट में बदलाव हुआ है। शेयर बायबैक पर कैपिटल लॉस: पहले शेयर बायबैक पर हुए लॉस को क्लेम नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब, अगर बायबैक की तारीख 1 अक्टूबर 2024 या उसके बाद की है, और आपने उस पर मिले लाभांश को ‘अन्य स्रोतों से आय’ में दिखाया है, तो कैपिटल लॉस को एडजस्ट किया जा सकता है। Schedule AL लिमिट: पहले ITR-2 फॉर्म में अगर किसी टैक्सपेयर्स की कुल आय ₹50 लाख से ज्यादा होती थी, तो उसे अपनी संपत्तियों और देनदारियों की जानकारी Schedule AL (Property and Liabilities) में भरनी पड़ती थी। लेकिन इस साल से यह सीमा बढ़ाकर ₹1 करोड़ कर दी गई है। इस बदलाव से ₹50 लाख से ₹1 करोड़ आय वाले टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी। धारा 80 के डिडक्शन: अब ITR-2 फॉर्म में फॉर्म में धारा 80C, 80D, 80CCD, 10(13A) आदि के अंतर्गत कटौतियों की अधिक बारीक जानकारी भरनी होगी। इसका मकसद टैक्सपेयर्स के निवेश और खर्चों की ज्यादा पारदर्शी रिपोर्टिंग है। TDS में ‘सेक्शन कोड’ का उल्लेख अनिवार्य: पहले ITR-2 फॉर्म भरने पर सिर्फ इतना बताना होता था कि TDS किसने काटा और कितनी राशि काटी गई। अब यह बताना भी जरूरी होगा कि किस धारा के तहत TDS कटा। इससे टैक्स डिपार्टमेंट को ट्रैकिंग में मदद मिलेगी। ITR-1 में कैपिटल गेन की अनुमतिइनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस साल से ITR-1 फॉर्म में इक्विटी शेयर या म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन दिखाने की इजाजत दे दी है। अगर आपकी ने म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार से ₹1.25 लाख तक की कमाई की है, तो आप उसे ITR-1 में दिखा सकते हैं। हालांकि, इससे ऊपर की रकम वाले करदाताओं के लिए ITR-2 फाइल करना अनिवार्य होगा।यह भी पढ़ें : Defined: ITR-1 से ITR-7 तक… जानिए किसे भरना चाहिए कौन-सा फॉर्म
