इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइलिंग सीजन शुरू हो गया है। 60 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने रिटर्न फाइल कर दिए हैं। करीब एक लाख टैक्सपेयर्स के रिटर्न की प्रोसेसिंग भी हो चुकी है। यह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी से पता चला है। हालांकि, इस बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 15 सितंबर तक कर दी है। लेकिन, रिटर्न फाइल करने के लिए डेडलाइन करीब आने का इंतजार करना ठीक नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जल्द रिटर्न फाइल करने के कई फायदे हैं।जल्दबाजी में फाइल नहीं करें रिटर्नअगर आप इनकम टैक्स रिटर्न जल्द फाइल कर देते हैं तो आपका रिफंड जल्द आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगा। दूसरा, अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने में टैक्सपेयर्स जल्दबाजी करते हैं, जिससे फाइलिंग में गलती होने की आशंका बढ़ जाती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब रिटर्न फाइल करने में सावधानी जरूरी है। इसकी वजह यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के डेटा की जांच के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है। एआई और डेटा एनालिटिक्स तक का इस्तेमाल हो रहा है।संबंधित खबरेंरिटर्न फाइल करने के लिए ये तीन डॉक्युमेंट्स हैं जरूरीइनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले आपको तीन डॉक्युमेंट्स इकट्ठा करना जरूरी है। अगर आप नौकरी नहीं करते हैं तो आपको दो डॉक्युमेंट्स पहले डाउनलोड करने होंगे। ये हैं फॉर्म 26एएस और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS)। इन दोनों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। फॉर्म 26एस में आपके टीडीएस की जानकारी मिल जाएगी। एआईएस में आपके सभी हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की जानकारी शामिल होगी।इनकम, टीडीएस, हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन के डेटा की जांच कर लेंअगर आप नौकरी करते हैं तो रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 16 में शामिल डेटा को भी गौर से देख लें। फिर, इन तीनों (फॉर्म 16, AIS और फॉर्म 26एएस) के डेटा को एक बार मैच करा लें। अगर कोई डेटा मैच नहीं करता है तो इसकी शिकायत आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को कर सकते हैं। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इनकम टैक्स अथॉरिटीज इन तीनों डॉक्युमेंट्स में शामिल डेटा के आधार पर आपके इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग करते हैं। अगर प्रोसेसिंग के दौरान उन्हें कोई डेटा गलत लगता है तो वे टैक्सपेयर को नोटिस जारी कर सकते हैं।डेटा एनालिटिक्स से गलत डेटा का तुरंत पता चल जाता हैइनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स की इनकम, खर्च, बैंक ट्रांजेक्शन, सिक्योरिटीज से जुड़े ट्रांजेक्शन और कैपिटल गेंस की जांच के लिए डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसका मतलब है कि डेटा एनालिटिक्स की मदद से पलक झपकते टैक्स चोरी की कोशिश या गलत डेटा के इस्तेमाल जैसे मामले पकड़ में आ जाएंगे। फिर, टैक्स अथॉरिटीज टैक्सपेयर को नोटिस भेज सकता है। टैक्सपेयर के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर वह जुर्माना लगा सकता है। टैक्सपेयर को जेल भी जाना पड़ सकता है।यह भी पढ़ें: ITR Verification Rule: रिटर्न फाइल करने के बाद वेरिफिकेशन जरूरी, चूक पर लगेगा बड़ा जुर्मानागलती साबित होने पर कार्रवाई कर सकता है डिपार्टमेंटटैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिटर्न फाइल करने में आपको छोटी-बड़ी हर इनकम की जानकारी रिटर्न में देनी जरूरी है। अगर आपने किसी इनकम के बारे में नहीं बताया है तो आपको टैक्स अथॉरिटीज का नोटिस मिल सकता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 276सी में यह बताया गया है कि टैक्सपेयर्स की गलती साबित होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसके खिलाफ क्या-क्या कदम उठा सकता है। गलत डिडक्शन क्लेम करने, डिडक्शन के लिए फर्जी रसीद या सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने जैसी गलतियों का दोषी पाए जाने पर टैक्सपेयर को टैक्स लायबिलिटी की 200 फीसदी तक पेनाल्टी चुकानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
