ईरान की संसद ने 22 जून को हॉर्मुज की खाड़ी बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसका मतलब है कि दुनिया में 20 फीसदी ऑयल की सप्लाई का यह रास्ता बंद हो जाएगा। हालांकि, यह प्रस्ताव सुप्रीम नेशनल काउंसिल के एप्रूवल के बाद ही लागू होगा। ईरान ने अमेरिकी हवाई हमले के जवाब में यह कदम उठाया है। सवाल है कि अगर 33 किलोमीटर चौड़े इस गलियारे को बंद किया गया तो इसका क्या असर पड़ेगा?उग्र रूप ले रहा है ईरान-इजरायल युद्धहॉर्मुज की खाड़ी (Hormuz Strait) बंद होने का मतलब है कि क्रूड ऑयल की कीमतें चढ़ने लगेंगी। DBS ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया है। उसने कहा है कि ईरान और इजरायल की लड़ाई जिस तरह से बढ़ रही है, उसे देखकर लगता है कि आगे इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि इस लड़ाई में दूसरे देश भी शामिल हो सकते हैं। अमेरिका पहले ही इस लड़ाई में कूद चुका है। अगर मिडिल ईस्ट में अमेरिकी बेस पर जवाबी हमला होता है तो फिर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।संबंधित खबरेंऑयल के इंफ्रास्ट्रक्चर को हो सकता है नुकसानमिडिल ईस्ट में लड़ाई के उग्र लेने का सबसे ज्यादा नुकसान क्रूड ऑयल के इंफ्रास्ट्रक्चर को होगा। दुनिया में क्रूड ऑयल की कुल सप्लाई में मिडिल ईस्ट देशों की बड़ी हिस्सेदारी है। इस सप्लाई के बाधित होने का मतलब है कि क्रूड की कीमतें सातवें आसमान में पहुंच जाएंगी। पहले ही क्रूड 20 फीसदी तक महंगा हो चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स ने तो क्रूड के 150 डॉलर के पार निकल जाने तक का अनुमान जताया है।दुनिया में करीब एक चौथाई गैस और तेल की सप्लाई हॉर्मुज के रास्तेदुनिया में एक-तिहाई एलएनजी और 25 फीसदी क्रूड ऑयल की सप्लाई हॉर्मुज की खाड़ी के रास्ते होती है। इससे यह दुनिया में एनर्जी सप्लाई के लिहाज से सबसे अहम चेकप्वाइंट है। इस रास्ते से चीन, इंडिया, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे क्रूड ऑयल के बड़े खपत वाले देसों को क्रूड की सप्लाई होती है। ऐसे में इस रास्ते के बंद होने का मतलब है कि इन देशों को क्रूड की सप्लाई के लिए दूसरे रास्ते तलाशने होंगे। इससे क्रूड की ढुलाई का खर्च भी बढ़ जाएगा।इंडिया जैसे देशों पर पड़ेगा काफी ज्यादा असरएपर्ट्स का कहना है कि हॉर्मुज की खाड़ी बंद होने का सबसे ज्यादा असर इंडिया पर पड़ेगा। इंडिया अपनी 90 क्रूड की जरूरत आयात से पूरा करता है। इसका बड़ा हिस्सा हॉर्मुज के रास्ता भारत आता है। इंडिया में ऑयल मिनिस्ट्र हरदीप सिंह पुरी ने 22 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार स्थिति पर नजर रख रही है। उन्होंने कहा कि इंडिया ने पिछले कुछ सालों में क्रूड के आयात में डायवर्सिफिकेशन का ख्याल रखा है।यह भी पढ़ें: Gold Fee In the present day: गोल्ड की उल्टी चाल से इनवेस्टर्स हैरान, इन बातों का रखें खास ध्यान नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसानआपका फ्यूल बिल कितना बढ़ जाएगा?इंपोर्ट में डायवर्सिफिकेशन का मतलब है कि इंडिया सिर्फ हॉर्मुज की खाड़ी के रास्ते क्रूड का इंपोर्ट नहीं करता है। दूसरी खास बात उन्होंने कहा था कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास कई हफ्तों के लिए पर्याप्त स्टॉक है। तीसरा, दूसरे रास्ते से इंडिया को क्रूड की सप्लाई होती रहेगी। इसका मतलब है कि हॉर्मुज का रास्ता बंद होने के बावजूद इंडिया को ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इंडिया के पास अपने स्ट्रेटेजिक ऑयल रिजर्व के इस्तेमाल का विकल्प भी खुला है। ऐसे में इंडिया में लोगों को ज्यादा दिक्कत होने की उम्मीद नहीं है।
