जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में 12 फीसदी टैक्स के तहत आने वाली दवाइयों और ट्रैक्टर्स पर चर्चा हो सकती है। जीएसटी काउंसिल स्लैब की संख्या कम करना चाहती है। 12 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने पर सहमति बन सकती है। हालांकि, इससे पहले राज्य इसके आर्थिक और सामाजिक असर का आकलन करेंगे। मामले से जुड़े सूत्रों ने इस बारे में मनीकंट्रोल को बताया। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक संसद के मानसूत्र सत्र से पहले होने की उम्मीद है।सरकार को रेवेन्यू में 4000 करोड़ का लॉस12 फीसदी टैक्स स्लैब के तहत आने वाली दवाइयों और ट्रैक्टर्स पर टैक्स खत्म करने से सरकार को 3,000-4,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू लॉस हो सकता है। अगर 12 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म किया जाता है तो अंग्रेजी दवाइयों के अलावा आयुर्वेदिक, होमयोपैथी, पशुओं की दवाओं और सर्जिकल ड्रेसिंग्स को 5 फीसदी वाले जीएसटी स्लैब में ट्रांसफर करना होगा। ट्रैक्टर को 18 फीसदी जीएसटी स्लैब में नहीं ट्रांसफर किया जा सकता, क्योंकि यह एग्रीकल्चर इक्विपमेंट कैटेगरी में आता है। ऐसे में टैक्स इनवर्जन से बचने के लिए इसे इनपुट टैक्स क्रेडिट के बगैर टैक्स के दायरे से बाहर करना होगा।संबंधित खबरेंट्रैक्टर्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का मामला फंस रहाटैक्स इनवर्जन का मतलब ऐसी स्थिति से है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों (कच्चा माल, कल-पुर्जों) पर टैक्स के रेट्स प्रोडक्ट पर लगने वाले टैक्स के रेट्स से ज्यााद होते हैं। इससे जो इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) एक्युमुलेट होता है, उसका कंपनियां पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इसका असर उनके कैश फ्लो पर पड़ता है। बताया जाता है कि 12 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने पर काफी हद तक सहमति बन गई है।दवाओं को 5 फीसदी टैक्स स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता हैसरकार के एक सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने पर बताया, “12 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने पर सहमति बन गई है। लेकिन रेवेन्यू में होने वाले 3000-4000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई दूसरे आइटम्स पर टैक्स से करनी होगी। ज्यादा आइटम्स को इस स्लैब से हटाया जा सकता है। लेकिन, दो आइटम्स-दवाओं और ट्रैक्टर्स को लेकर पेच फंस रहा है।” सूत्रों ने कहा कि अगर इन दवाओं को 5 फीसदी वाले स्लैब में डाला जाता है तो रेवेन्यू में बड़ा नुकसान होगा।नुकसान की भरपाई के लिए लग्जरी गुड्स पर बढ़ सकता है टैक्सएक सूत्र ने कहा कि अभी दवाओं पर 12 फीसदी टैक्स है, उन्हें 5 फीसदी स्लैब में ट्रांसफर करना पड़ेगा, जिससे रेवेन्यू घटेगा। जहां तक ट्रैक्टर्स की बात है तो इस पर टैक्स पूरी तरह खत्म करने पर विचार हो रहा है। इसकी वजह यह है कि इसे 18 फीसदी स्लैब के तहत नहीं रखा जा सकता। ऐसे में सिर्फ ITC के बगैर इसे टैक्स के दायरे से बाहर लाना विकल्प हो सकता है। 12 फीसदी टैक्स स्लैब को हटाने से रेवेन्यू को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई के लिए लग्जरी गुड्स पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है।
