Gold vs Silver: अब सोने नहीं, चांदी का जमाना! निवेशकों की बनी नई पसंद, एक्सपर्ट भी बुलिश


Gold vs Silver: अब सोने नहीं, चांदी का जमाना! निवेशकों की बनी नई पसंद, एक्सपर्ट भी बुलिश
Gold vs Silver: सिल्वर अब अपनी पारंपरिक पहचान से आगे निकल चुका है। पहले इसे सिर्फ एक कीमती धातु के रूप में जाना जाता था, जिसका इस्तेमाल जेवरात में होता था। लेकिन, अब यह चांदी निवेशकों को भी लुभा रही है, जो इसके इंडस्ट्रियल इस्तेमाल और ग्रीन टेक्नोलॉजी से जुड़ी अहमियत को समझ रहे हैं। अब पूरी दुनिया में ग्रीन एनर्जी की दिशा में प्रयास तेज हो रहे हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि औद्योगिक मांग और निवेश मूल्य के चलते चांदी अब पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने वाले एसेट के रूप में उभर रही है।अरिहंत कैपिटल मार्केट की चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर श्रुति जैन के अनुसार, सिल्वर की असली ताकत उसकी दोहरी भूमिका में है। उनका कहना है, ‘सिल्वर की अपील सिर्फ इसकी कीमती धातु वाली पहचान तक सीमित नहीं है। इसका इस्तेमाल सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में होता है। इससे चांदी की मजबूत स्ट्रक्चरल डिमांड की भूमिका तैयार होती है।’आंकड़े भी चांदी के साथसंबंधित खबरेंAMFI के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सिल्वर एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) मई 2024 को समाप्त वर्ष में 125% बढ़ा है। इसके मुकाबले, उसी अवधि में गोल्ड ETFs में मात्र 19.4% की बढ़त दर्ज हुई। यह अंतर साफ तौर पर दिखाता है कि सिल्वर को अब निवेशक टैक्टिकल (अल्पकालिक रणनीति) और थीमैटिक दोनों नजरिये से देख रहे हैं।श्रुति जैन कहती हैं, ‘इस नए रुझान का एक प्रमुख कारण सिल्वर की क्लीन एनर्जी में भूमिका है। यह सोलर पैनल्स में एक महत्वपूर्ण इनपुट है, क्योंकि इसकी कंडक्टिविटी और एफिशिएंसी बहुत ज़्यादा है। जैसे-जैसे सरकारें एनर्जी ट्रांजिशन की ओर बढ़ रही हैं, सिल्वर को सीधा फायदा मिलेगा।’डाइवर्सिफिकेशन में भूमिकासिल्वर का इनवेस्टमेंट केस इस तथ्य से भी मजबूत होता है कि इसका शेयर बाजार के साथ संबंध (correlation) तुलनात्मक रूप से कम है। यह इसे एक बेहतर डाइवर्सिफिकेशन टूल बनाता है। जैन का कहना है कि अब कई रिटेल निवेशक सिल्वर ETFs को इसी कारण से एक्सप्लोर कर रहे हैं।जैन का कहना है, “हम देख रहे हैं कि निवेशक सिल्वर का इस्तेमाल वॉलेटिलिटी के समय टैक्टिकली कर रहे हैं। लेकिन, स्ट्रैटेजिक रूप से भी इसका उपयोग हो रहा है। खासकर, ट्रेडिशनल इक्विटी-डेट एलोकेशन से बाहर निकलने के विकल्प के तौर पर।”रिस्क भी हैं, लेकिन मौका भीसिल्वर के साथ जोखिम भी जुड़ा है। इसकी कीमतों में सोने के मुकाबले ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है, इसलिए यह अभी भी सोने जैसा ‘सेफ हेवन’ एसेट नहीं माना जाता। लेकिन जैन मानती हैं कि यह वॉलेटिलिटी एक खास तरह के निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकती है।उन्होंने कहा, “सिल्वर की वॉलेटिलिटी उन युवाओं या ज्यादा रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए काम की हो सकती है जो लॉन्ग टर्म में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे वैश्विक मैक्रो थीम्स में एक्सपोजर चाहते हैं।”ETFs से सिल्वर में निवेश आसानSilver ETFs की पहुंच और पारदर्शिता निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने में मदद कर रही है। इन फंड्स के जरिए निवेशक सिल्वर में आसानी से निवेश कर सकते हैं। उन्हें चांदी को खरीदकर भौतिक रूप से अपने पास रखने की जरूरत नहीं होती। इससे इसे लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो में शामिल करना कहीं ज्यादा आसान हो गया है।गोल्ड या सिल्वर या फिर दोनों?जैन का सुझाव है कि निवेशकों को सिल्वर और गोल्ड में निवेश का निर्णय अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता को देखकर करना चाहिए। उन्होंने कहा, “गोल्ड अब भी ज्यादा लिक्विड और कैपिटल प्रिजर्वेशन का जरिया है। लेकिन सिल्वर भी अच्छा विकल्प बन सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो इंडस्ट्रियल और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ग्रोथ से जुड़ना चाहते हैं।”उनके अनुसार, गोल्ड और सिल्वर को प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए। ताकि पोर्टफोलियो संतुलित भी रहे और संभावनाओं से भरपूर भी।यह भी पढ़ें : Gold Charge At this time In India: गोल्ड खरीदने में अब अधिक ढीली होगी जेब, चांदी की भी बढ़ी चमक, चेक करें लेटेस्ट रेटDisclaimer: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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