सोने के निवेशकों के लिए 22 अप्रैल लंबे समय तक याद रहेगा। इस तारीख को गोल्ड फ्यूचर्स कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स पर 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमत 3,500 डॉलर प्रति औंस पहुंच गई। सोना बीते तीन सालों में करीब दोगुने भाव पर पहुंच गया है। एक चौथाई फीसदी की तेजी तो 2025 में देखने को मिली है। पहले भी जियोपॉलिटिकल टेंशन, इकोनॉमिक स्लोडाउन और युद्ध जैसी स्थितियों में सोने में तेज उछाल देखने को मिला है। सोने की वैल्यू तब बढ़ती है जब दूसरे फाइनेंशियल एसेट्स की वैल्यू घटने का खतरा पैदा होता है।सोने में तेजी की वजहेंइनवेस्टर्स मुश्किल वक्त में फाइनेंशियल एसेट्स से अपने पैसे निकालकर गोल्ड में लगाते हैं, जिससे Gold की कीमतें चढ़ने लगती हैं। इस बार भी हालात कुछ ऐसे दिख रहे हैं। पिछले तीन सालों में रूस-यूक्रेन लड़ाई, इजरायल-फलीस्तीन युद्ध और अमेरिका-यूरोप की इकोनॉमी में सुस्ती देखने को मिली है। अमेरिका पर बढ़ता कर्ज उसे बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर शुरू करने से हालात और बिगड़ गए हैं। चीन से अमेरिका के रिश्ते बिगड़ गए हैं। उधर, ट्रंप और फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल में टकराव बढ़ा है। इससे दुनियाभर के निवेशकों की चिंता बढ़ी है।संबंधित खबरेंगोल्ड खरीदने का बदला है तरीकाउपर्युक्त वजहों से गोल्ड में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। इंडिया में भी गोल्ड की मांग बढ़ रही है। खासकर त्योहारों के वक्त इंडिया में गोल्ड खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन, गोल्ड की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाने से ग्राहकों का गोल्ड खरीदने का तरीका बदला है। वे पुरानी ज्वैलरी के बदले नई ज्वैलरी खरीद रहे हैं। इस बीच, निवेशकों में जागरूकता बढ़ने से गोल्ड ईटीएफ में उनकी दिलचस्पी बढ़ी है। यह गोल्ड में डिजिटल इनवेस्टमेंट का अच्छा माध्यम है।क्या गोल्ड में तेजी जारी रहेगी?अब आते हैं सबसे बड़े सवाल पर। क्या गोल्ड में यह तेजी जारी रहेगी? क्या मौजूदा भाव पर सोना खरीदना समझदारी है? या अभी गोल्ड में प्रॉफिट बुक करना ठीक रहेगा? स्प्रॉट एसेट मैनेजमेंट यूएसए के सीनियर पोर्टफोलियो मैनेजर जॉन हैथवे ने कहा कि दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक गोल्ड में निवेश कर रहे हैं। अमेरिकी सरकार के बॉन्ड में उनकी दिलचस्पी घटी है। इससे गोल्ड की कीमतों में तेजी जारी है। उधर, अमेरिकी इकोनॉमी पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इससे डॉलर कमजोर हो रहा है। इसके अलावा टैरिफ को लेकर बढ़ती लड़ाई से भी फाइनेंशियल मार्केट्स की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं दिख रहा है।गोल्ड के इतिहास को समझने की जरूरतआम तौर पर जब स्टॉक मार्केट क्रैश करता है तो पैसा शेयरों से निकलकर अमेरिकी सरकार के बॉन्ड्स में जाता है। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। इसकी जगह गोल्ड को निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम मानते हुए इनवेस्टर्स उसमें निवेश कर रहे हैं। लेकिन, निवेशकों को एक बात ध्यान में रखने की जरूरत है कि जब मुश्किल वक्त खत्म हो जाता है तो गोल्ड की कीमतों में उसी रफ्तार से गिरावट आती है, जिस रफ्तार से ये चढ़ती हैं। उदाहरण के लिए हाई इनफ्लेशन और जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से 1980 में गोल्ड की कीमतें पीक पर पहुंच गई थीं। लेकिन, कुछ ही समय बाद गोल्ड बेयर फेज में चला गया। 1999 तक गोल्ड गिरकर नए निचले स्तर पर आ गया। यूरोजोन क्राइसिस के वक्त भी ऐसा ट्रेंड देखने को मिला था। कोविड की महामारी के वक्त भी ऐसा हुआ था।यह भी पढ़ें: Gold Fee At this time: रिकॉर्ड उंचाई से फिसला सोना, क्या यह खरीदने का सही समय है?आपको क्या करना चाहिए?एक अनुमान के मुताबिक, गोल्ड की कीमतें इस साल के अंत तक हाई बनी रहेंगी। फंड मैनेजर्स गोल्ड में बेताहाशा तेजी को लेकर सावधानी बरतते नजर आ रहे हैं। वे निवेशकों को गोल्ड में नई खरीदारी करने की सलाह नहीं दे रहे हैं। उनका मानना है कि निवेशकों को या तो गोल्ड में निवेश बनाए रखना चाहिए या कुछ पैसा निकाल लेना चाहिए। हैथवे का कहना है कि तेज रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन से कूदने में खतरा है। ट्रेन की स्पीड जब अगले स्टेशन से पहले कम हो जाए तो आप उससे उतर सकते हैं। निवेशकों को गोल्ड के मामले में भी इसका पालन करना चाहिए।
