इस साल हो सकता है कि कई टैक्सपेयर्स को उनका आयकर रिफंड देरी से मिले। कहा जा रहा है कि इसकी मुख्य वजह यह है कि आयकर विभाग के पोर्टल पर ITR यूटिलिटीज की रिलीज में और बैकएंड सिस्टम अपग्रेड में देरी हो रही है। ITR-2 और ITR-3 यूटिलिटीज यानि कि फॉर्म अभी भी इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लाइव नहीं हैं। इनकी रिलीज में देरी, मतलब इन्हें फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए पूरी रिफंड प्रक्रिया में देरी। हालांकि रिफंड जारी होने में देरी पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।ऐसे व्यक्ति जो ITR-1 के लिए पात्र नहीं हैं, उनके लिए और HUF यानि हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के लिए यह ITR-2 फॉर्म लागू है। उनकी , बिजनेस या प्रोफेशन के हेड प्रॉफिट्स या गेंस के तहत नहीं होती हो। ITR-3 फॉर्म ऐसे व्यक्ति और HUF के लिए लागू है, जिनकी इनकम, बिजनेस या प्रोफेशन के हेड प्रॉफिट्स या गेंस के तहत आती हो। ये लोग ITR-1, 2 या 4 फाइल करने के लिए पात्र न हों।क्या कहना है एक्सपर्ट कासंबंधित खबरेंAKM ग्लोबल में पार्टनर-टैक्स संदीप सहगल का कहना है कि देरी मुख्य रूप से फॉर्म्स में अहम स्ट्रक्चरल बदलावों और बैकएंड सिस्टम में चल रहे तकनीकी अपग्रेड के कारण है। ई-फाइलिंग साइट पर अभी रिटर्न प्रोसेसिंग या रिफंड पर अपडेटेड डेटा शो नहीं हो रहा है। आगे कहा कि ITR-2 और ITR-3 यूटिलिटीज की रिलीज में देरी और पब्लिश्ड डेटा की कमी के कारण मौजूदा असेसमेंट ईयर के लिए रिफंड की प्रोसेसिंग और इसके जारी होने में देरी हो सकती है। टैक्समैन के वाइस प्रेसिडेंट नवीन वाधवा का भी यही मानना है कि फॉर्म्स को जारी करने में किसी भी तरह की देरी का मतलब है रिफंड के पेमेंट में देरी।देश के 3 सरकारी बैंकों ने घटाया होम लोन इंटरेस्ट! कम किया MCLR, कम हो जाएगी EMI, सस्ता होगा कर्जइस बार इन केसेज में 15 सितंबर है ITR फाइलिंग की डेडलाइनइस बार इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग को लेकर अभी कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि नॉन-ऑडिट मामलों के लिए रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दी गई है। बता दें कि इस बार टैक्सपेयर्स वित्त वर्ष 2024-25 और असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR डालेंगे। जिन टैक्सपेयर्स ने अपने ऊपर बनने वाले टैक्स के 110% से ज्यादा का पेमेंट किया है, उन्हें 0.5% महीने की दर से ब्याज मिलेगा। लेकिन जिन्होंने 100% और 110% के बीच पेमेंट किया है, उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलेगा। ध्यान रहे कि रिफंड पर टैक्सपेयर्स को हासिल होने वाला ब्याज “अन्य स्रोतों से आय” माना जाता है और यह टैक्सेबल होता है।करदाता रहें तैयारएक्सपर्ट्स की सलाह है कि करदाता ITR-2 और ITR-3 फॉर्म की रिलीज पर नजर रखें और इसके जारी होने पर बिना देरी अपना रिटर्न फाइल करें। समय पर ई-वेरिफिकेशन और सटीक जानकारी आगे और देरी से बचा सकती है।
