Defined: खेती वाली जमीन बेचने पर टैक्स देना होगा या नहीं? क्या कहते हैं सरकार के नियम


Defined: खेती वाली जमीन बेचने पर टैक्स देना होगा या नहीं? क्या कहते हैं सरकार के नियम
Tax on agricultural land Sale: अगर आप कृषि योग्य जमीन बेचने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे जरूरी सवाल यही है: क्या इस पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा? इसका जवाब थोड़ा जटिल है और यह इस पर निर्भर करता है कि आपकी जमीन कहां है और आप उसका किस काम के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इनकम टैक्स कानून के तहत ग्रामीण और शहरी कृषि भूमि के लिए नियम अलग-अलग हैं।आइए एक्सपर्ट से समझते हैं कि एग्रीकल्चरल लैंड बेचने पर कब टैक्स लगता है और कब नहीं। साथ ही, टैक्स छूट का लाभ कैसे उठाया जा सकता है।ग्रामीण इलाकों की जमीन पर नहीं लगता टैक्स नहींसंबंधित खबरेंअगर जमीन ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है और उसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, तो उसे कैपिटल एसेट नहीं माना जाता। इसलिए इसकी बिक्री पर टैक्स से छूट मिल जाती है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। जैसे कि जमीन नगरपालिका या नगर निगम की सीमा से कम से कम 2 किलोमीटर दूर होनी चाहिए। जमीन का इस्तेमाल वास्तव में खेती के लिए किया गया हो। अगर ये शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो जमीन को कैपिटल एसेट माना जाएगा और बिक्री पर टैक्स लग सकता है।टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज LLP में पार्टनर विवेक जालान का कहना है, ‘भारत में ग्रामीण क्षेत्र की खेती लायक जमीन को को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 45 के तहत पूंजीगत संपत्ति (capital asset) नहीं माना जाता। इसलिए, इसकी बिक्री से होने वाला कोई भी लाभ ‘कैपिटल गेन’ की कैटेगरी में नहीं आता।’ उनका कहना है कि ऐसे लाभ को आयकर अधिनियम की धारा 10(1) के तहत टैक्स-फ्री माना गया है। हालांकि, इसे ITR के Schedule EI (Exempt Revenue) में दिखाना जरूरी होता है।हालांकि, टैक्स देनदारी का फैसला सिर्फ लोकेशन से नहीं होता, बल्कि यह भी देखा जाता है कि जमीन असल में खेती के लिए इस्तेमाल हो रही थी या नहीं। अगर किसी कृषि भूमि का उपयोग प्लॉटिंग या रेजिडेंशियल डेवलपमेंट के लिए किया जा रहा है, तो वह टैक्स छूट की कैटेगरी में नहीं आएगी।शहर में कृषि भूमि पर कैसे लगता है टैक्स?अगर खेती वाली जमीन नगरपालिका, नगर परिषद या किसी नगर निगम के अंतर्गत आती है, तो वह शहरी कृषि भूमि मानी जाती है। उसे कैपिटल एसेट के रूप में क्लासिफाइड किया जाता है। ऐसी स्थिति में जमीन बेचने पर होने वाले लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स देना जरूरी है।ClearTax में टैक्स एक्सपर्ट CA शेफाली मुंद्रा (Shefali Mundra) का कहना है, ‘अगर शहरी कृषि जमीन को दो साल से अधिक समय तक रखा गया हो, तो इससे होने वाला लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Lengthy-Time period Capital Acquire – LTCG) माना जाएगा। 2024 के केंद्रीय बजट में किए गए बदलावों के अनुसार, उस पर बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट (indexation advantages) के 12.5% टैक्स लगेगा।’शेफाली मुंद्रा के मुताबिक, 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के लिए दो विकल्प हैं- इंडेक्सेशन के साथ 20% या बिना इंडेक्सेशन के 12.5% टैक्स। अगर जमीन को दो साल या उससे कम समय के लिए रखा गया हो, तो लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (Brief-Time period Capital Acquire – STCG) माना जाएगा। इस स्थिति में टैक्स बेचने वाली की इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा।क्या टैक्स देने से छूट भी मिल सकती है?कुछ खास स्थितियों में शहरी इलाकों में खेती वाली जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स से राहत भी पाई जा सकती है। शेफाली मुंद्रा का कहना है कि जमीन बेचने वाले को धारा 54B के अंतर्गत छूट मिल सकती है। लेकिन, इसमें शर्त यह है कि जमीन बेचने से मिले पैसों से दो साल के भीतर दूसरी कृषि जमीन खरीदी जाए। साथ ही, धारा 54EC और 54F के अंतर्गत भी परिस्थितियों के आधार पर छूट मिल सकती है।सेक्शन 54EC के तहत भी जमीन बेचने से मिले पैसों को निवेश करना होता है, सरकार द्वारा अधिकृत बॉन्ड्स (जैसे NHAI या REC) में। अगर आप 6 महीने के भीतर इनमें निवेश करते हैं, तो आपको टैक्स छूट मिल सकती है। हालांकि, इसकी अधिकतम सीमा ₹50 लाख है।यह भी पढ़ें : Residence Mortgage: कर्ज के जाल में फंसा सकता है होम लोन? क्या है बचने का तरीकाडिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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