Defined: ITR-5 फॉर्म में बड़े बदलाव; कैपिटल गेन, बायबैक लॉस और TDS रिपोर्टिंग पर देना होगा ध्यान


Defined: ITR-5 फॉर्म में बड़े बदलाव; कैपिटल गेन, बायबैक लॉस और TDS रिपोर्टिंग पर देना होगा ध्यान
ITR-5 Defined: वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए टैक्स रिटर्न भरने का समय आ चुका है। इस बार अन्य फॉर्मों की तरह ITR-5 फॉर्म में कई अहम बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव केंद्र सरकार के बजट 2024-25 में किए गए प्रावधानों के अनुसार हैं। इन बदलावों का मकसद रिपोर्टिंग को ज्यादा पारदर्शी बनाना और टैक्स नियमों को नई स्थितियों के अनुकूल ढालना है।चार्टर्ड अकाउंटेंट किंजल भुटा (सेक्रेटरी, बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी) के अनुसार, ‘इन बदलावों को गंभीरता से समझना और लागू करना जरूरी होगा। खासकर, उन संस्थाओं के लिए जिनकी इनकम में शेयर बाजार, बायबैक या अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन जैसी गतिविधियां शामिल हैं।’आइए जानते हैं कि ITR-5 में फॉर्म में क्या बदलाव हुए हैं और इसे किन लोगों के भरना होता है।संबंधित खबरें1. कैपिटल गेन की परिभाषा में बदलावपहले, किसी पूंजीगत संपत्ति (capital asset) को शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म मानने के लिए 12, 24 और 36 महीने की अलग-अलग अवधियां थीं। लेकिन अब इसे सरल बनाया गया है: लिस्टेड यूनिट्स (जैसे REITs, InvITs): अगर इन्हें 12 महीने या कम समय तक होल्ड किया गया, तो इन्हें शॉर्ट टर्म माना जाएगा। पहले यह सीमा 36 महीने की थी। अन्य संपत्तियां (Different Capital Property): अब इन्हें 24 महीने या कम होल्ड करने पर शॉर्ट टर्म माना जाएगा। पहले यहां भी 36 महीने थे। इसके अलावा, टैक्सपेयर्स को अपनी कैपिटल गेन की रिपोर्टिंग दो हिस्सों में करनी होगी: 23 जुलाई 2024 से पहले की डीलिंग। 23 जुलाई 2024 या उसके बाद की डीलिंग। इसका मकसद है यह पता लगाना कि नई होल्डिंग पीरियड किस लेन-देन पर लागू होती है।2. शेयर बायबैक पर लॉस दिखाने के नियम बदल गएअब तक अगर किसी कंपनी ने अपने ही शेयर बायबैक किए और उस पर किसी निवेशक को नुकसान हुआ, तो वह उसे कैपिटल लॉस की तरह दिखा सकता था।लेकिन, अब अगर बायबैक की रकम को Earnings Tax Act की धारा 2(22)(f) के तहत डिविडेंड माना गया है , तो उस लेन-देन का बेस प्राइस “NIL” मान लिया जाएगा। यानी, आप उस पर कैपिटल लॉस तभी दिखा सकते हैं जब आपने उसे ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेस’ में डिविडेंड के रूप में दिखाया हो। यह नियम 1 अक्टूबर 2024 से हुए मामलों पर लागू होगा।3. क्रूज शिप बिजनेस के लिए नया टैक्स नियमयह नया presumptive टैक्सेशन नियम है, खासकर गैर-निवासी क्रूज ऑपरेटर्स के लिए। अब ऐसे ऑपरेटर्स अपनी कुल कमाई का 20% हिस्सा ही टैक्सेबल प्रॉफिट मान सकते हैं। इसके लिए ITR-5 में नया विकल्प जोड़ा गया है, जहां आपको बताना होगा कि आप धारा 44BBC के तहत रिटर्न भर रहे हैं।साथ ही Schedule BP (Enterprise and Career) में इसका हिसाब देना होगा, जैसे कि पहले से मौजूद धारा 44B और 44BBA के लिए किया जाता है।4. TDS की रिपोर्टिंग में भी नया निर्देशपहले टैक्सपेयर्स को सिर्फ इतना बताना होता था कि उनके ऊपर कितना TDS कटा। अब नए ITR-5 में यह जरूरी कर दिया गया है कि हर TDS एंट्री के साथ उसका संबंधित आयकर अधिनियम की धारा (Part Code) भी बताई जाए। यह नियम Tax Fee Schedule में लागू होगा।इससे टैक्स डिपार्टमेंट क्रॉस-वेरिफिकेशन आसानी से कर सकेगा और टैक्स चोरी की गुंजाइश कम होगी।क्या आपकी संस्था पर ITR-5 लागू होता है?अगर आप नीचे दी गई कैटेगरी में आते हैं, तो आपको ITR-5 भरना होगा: फर्म्स और LLPs AOPs (Affiliation of Individuals) और BOIs (Physique of People)। ट्रस्ट, कोऑपरेटिव सोसाइटी, इन्वेस्टमेंट फंड्स। Synthetic Juridical Particular person यानी कानूनन ‘व्यक्ति’ मानी जाने वाली धार्मिक संस्थाएं, कंपनी या निगम। दिवगंत या दिवालिया की संपत्ति पाने वालों के लिए भी यह फॉर्म जरूरी है। यह भी पढ़ें :  Defined: ITR-1 से ITR-7 तक… जानिए किसे भरना चाहिए कौन-सा फॉर्म

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