2 लाख तक का गोल्ड लोन लेने वालों को मिलेगी राहत, RBI अब Gold Mortgage पर जारी करेगा नई गाइडलाइंस


2 लाख तक का गोल्ड लोन लेने वालों को मिलेगी राहत, RBI अब Gold Mortgage पर जारी करेगा नई गाइडलाइंस
Gold Mortgage Guidelines: अगर आप या आपके जानने वाले कभी जरूरत पड़ने पर सोने के बदले लोन लेते हैं, तो आपके लिए एक अहम खबर है। रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन से जुड़े कुछ नए नियम बनाए हैं, लेकिन इन पर अब वित्त मंत्रालय ने सवाल उठाए हैं। मंत्रालय को लगता है कि ये नए नियम छोटे कर्ज लेने वालों, खासकर गांवों और गरीब तबकों के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इसी वजह से मंत्रालय ने RBI से कहा है कि इन गाइडलाइंस को लागू करने में और समय दिया जाए और छोटे लोन लेने वालों को कुछ राहत भी दी जाए।वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को गोल्ड लोन को लेकर तैयार किए गए ड्राफ्ट नियमों पर अपने सुझाव भेज दिए हैं। ये सुझाव खासतौर पर छोटे लोन लेने वालों के हितों को प्रोटेक्ट करने के लिए बनाए गए हैं।क्या कहा गया DFS की तरफ से?संबंधित खबरेंDFS ने RBI को सुझाव दिया है कि 2 लाख रुपये से कम के गोल्ड लोन लेने वालों को नए नियमों से छूट दी जाए। इससे छोटे किसानों, दुकानदारों और जरूरतमंद लोगों को जल्दी और आसानी से गोल्ड लोन मिल सकेगा। यह कदम ऐसे लोगों को राहत देगा जो छोटी रकम के लिए सोना गिरवी रखते हैं।1 जनवरी 2026 से लागू हो सकते हैं नए नियमइसके अलावा DFS ने RBI से यह भी सिफारिश की है कि नए नियमों को लागू करने की तारीख 1 जनवरी 2026 कर दी जाए। इससे बैंकों और NBFCs को अपनी व्यवस्था सुधारने और बदलावों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि ये सुझाव केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मार्गदर्शन में तैयार किए गए हैं और RBI को भेज दिए गए हैं।RBI ने क्यों जारी किए नए नियम?RBI ने अप्रैल 2025 में गोल्ड लोन को लेकर ड्राफ्ट नियम जारी किए थे। हाल ही में हुई एक ज्वाइंट समीक्षा कि गई जिसमें कई अनियमितताएं सामने आई थीं।लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशो पर ढीली निगरानी।रिस्क वैल्युएशन में खामियां।एजेंटों का गलत इस्तेमालनीलामी के प्रोसेस ट्रांसपेरेंट नहीं होनाइन खामियों को दूर करने के लिए RBI ने बैंकों और NBFCs को सख्त दिशानिर्देश जारी करने की योजना बनाई।ड्राफ्ट नियमों के मेन प्वाइंटLTV रेशो यानी गोल्ड की कुल कीमत के मुकाबले लोन के अमाउंट पूरे लोन पीरियड में ब्याज समेत 75% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे बुलेट रिपेमेंट वाले लोन की राशि घटकर 55–60% तक रह सकती है, जो पहले 65–68% तक होती थी। EMI-आधारित लोन में जहां मूलधन जल्दी चुकता होता है, थोड़ी ज्यादा LTV मिल सकती है। गोल्ड लोन की क्वांटिटी बैंकों के कुल लोन पोर्टफोलियो का एक तय हिस्सा ही होनी चाहिए और इसे समय-समय पर समीक्षा के आधार पर तय किया जाएगा।अब आगे क्या?RBI ने कहा है कि उसे पब्लिक और अन्य स्टेकहोल्डर्स से जो फीडबैक मिला है, उसकी समीक्षा की जा रही है। DFS समेत सभी सुझावों पर विचार किया जाएगा और उसके बाद अंतिम नियम तय किए जाएंगे। छोटे लोन लेने वालों के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर हो सकती है, अगर RBI DFS के सुझावों को स्वीकार करता है।IRCTC: चैट या वॉइस कमांड से बुक कर पाएंगे ट्रेन टिकट, AskDISHA 2.0 से सब होगा आसान

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