18 साल से अलग रहने के बाद भी पति को नहीं मिला पत्नी से तलाक! HC ने दिया मानसिक बीमारी पर अहम फैसला


18 साल से अलग रहने के बाद भी पति को नहीं मिला पत्नी से तलाक! HC ने दिया मानसिक बीमारी पर अहम फैसला
पत्नी को मानसिक बीमारी के आधार पर पति को डिवोर्स नहीं मिल सकता। 18 साल अपनी वाइफ से अलग रहने के बाद भी कोर्ट ने पति को डिवोर्स नहीं लेने दाय। पटना हाई कोर्ट ने 7 अप्रैल 2025 को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि सिर्फ यह कहना कि पत्नी को मानसिक बीमारी (स्किजोफ्रेनिया) है, तलाक का आधार नहीं बन सकता। कोर्ट ने साफ किया कि मानसिक बीमारी की गंभीरता को साबित करना जरूरी है। यह मामला एक ऐसे पति का है जो 2005 में शादी के बाद करीब 1 साल 11 महीने ही पत्नी के साथ रह पाया और 2007 से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं।पति ने लगाया मानसिक बीमारी और हिंसा का आरोपपति का आरोप था कि उसकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार है और अक्सर उसे मारती थी, कभी-कभी चम्मच और चाकू से भी हमला करती थी। उसने कहा कि शादी से पहले लड़की के माता-पिता ने यह बात छिपाई। पति ने यह भी कहा कि शादी के दो साल में वह कभी भी पत्नी के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाया।संबंधित खबरेंपत्नी ने कहा – मैं मानसिक रूप से स्वस्थ हूं, साथ रहना चाहती हूंवहीं पत्नी ने कोर्ट में कहा कि वह एक आध्यात्मिक प्रवृत्ति की महिला है और उसे कोई मानसिक बीमारी नहीं है। उसने यह भी कहा कि वह अब भी पति के साथ रहना चाहती है और वैवाहिक जीवन निभाना चाहती है।परिवार अदालत और हाई कोर्ट – दोनों ने तलाक देने से किया इनकार2010 में पति ने तलाक की याचिका दायर की थी, जिसे नवादा फैमिली कोर्ट ने 2018 में खारिज कर दिया। इसके बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन पटना हाई कोर्ट ने भी तलाक देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पति यह साबित नहीं कर पाया कि पत्नी मानसिक बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित है।कोर्ट ने कहा – बीमारी का प्रमाण जरूरी, केवल आरोप काफी नहींपटना हाई कोर्ट ने कहा कि स्किजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी का इलाज संभव है और अगर मरीज इलाज ले रहा है और परिवार का साथ है, तो वैवाहिक जीवन चल सकता है। केवल बीमारी का नाम लेने से तलाक नहीं दिया जा सकता, इसके लिए मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टर की गवाही जरूरी होती है।कोर्ट ने पति को बताया दोषी, कहा – पत्नी को छोड़ा, अब फायदा नहीं ले सकतेकोर्ट ने यह भी कहा कि पति खुद पत्नी को छोड़कर चला गया और अब वह इस आधार पर तलाक नहीं मांग सकता। न तो मानसिक बीमारी का कोई सबूत पेश किया गया और न ही क्रूरता का ठोस प्रमाण दिया गया। ऐसे में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून के तहत तलाक के लिए पर्याप्त आधार मौजूद नहीं हैं।eighth Pay Fee: सरकार CGHS के बदले लाएगी नई हेल्थकेयर स्कीम! केंद्रीय कर्मचारि

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