आरबीआई ने इंटरेस्ट रेट घटाना शुरू कर दिया है। इसका असर बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीमों के इंटरेस्ट रेट पर पड़ा है। रेपो रेट घटने पर बैंक होम सहित दूसरे लोन के इंटरेस्ट रेट में कमी करते हैं। साथ ही वे फिक्स्ड डिपॉजिट के इंटरेस्ट रेट में कमी करते हैं। अभी यह स्थिति देखने को मिल रही है। इससे निवेशक थोड़ी उलझन में हैं। उन्हें नहीं समझ आ रहा कि उन्हें बैंकों की एफडी स्कीम में निवेश करना चाहिए या स्मॉल सेविंग्स स्कीम में पैसे लगाना चाहिए।बैंक एफडी लंबे समय से निवेश का पसंदीदा विकल्प रहा हैलंबे समय से रिस्क नहीं लेने वाले निवेशकों के लिए बैंक की एफडी स्कीम पहली पसंद रही है। एफडी की खास बात यह है कि इसमें पहले से तय रिटर्न मिलता है। जरूरत पड़ने पर पैसे मैच्योरिटी से पहले निकाले जा सकते हैं। इन्हें निवेश की सुरक्षा के लिहाज से भी अच्छा माना जाता है। उधर, स्मॉल सेविंग्स स्कीम पर सरकार की गारंटी होती है। PPF, NSC, सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) और पॉस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) से टैक्स के बाद मिलने वाला रिटर्न अट्रैक्टिव होता है।संबंधित खबरेंबैंक एफडी से रिटर्न टैक्स के दायरे में बैंक की एफडी स्कीम का इंटरेस्ट रेट बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। हाल तक बैंक अपने एफडी पर 6.5 से 7.5 फीसदी तक इंटरेस्ट ऑफर कर रहे थे। यह ध्यान में रखना होगा कि एफडी पर मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। उस पर टैक्सपेयर्स के स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है। इससे ज्यादा स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न काफी घट जाता है। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति 30 फीसदी टैक्स के स्लैब में आता है तो 7.5 फीसदी इंटरेस्ट वाले एफडी पर टैक्स चुकाने के बाद उसका रिटर्न सिर्फ 2.5 फीसदी रह जाएगा।पीपीएफ पर सालाना इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदीस्मॉल सेविंग्स स्कीम के इंटरेस्ट रेट का ऐलान सरकार हर तिमाही करती है। लेकिन, आम तौर पर काफी समय तक इंटरेस्ट रेट्स में बदलाव देखने को नहीं मिलता है। अभी PPF पर सालना 7.1 फीसदी का टैक्स-फ्री रिटर्न मिलता है। इसमें निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन भी मिलता है। सीनियर सिटीजंस स्कीम में सालाना इंटरेस्ट 8.2 फीसदी है। इसका पेमेंट हर तिमाही होता है। एनएससी में इंटरेस्ट रेट 7.7 फीसदी है। यह हर साल एक्युमुलेट होता जाता है। फिर मैच्योरिटी पर मूलधन और इंटरेस्ट दोनों मिल जाता है।सुरक्षा के लिहाज से दोनों बेहतर हैंसुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है। लेकिन, स्मॉल सेविंग्स स्कीम पर सरकार की गांरटी मिलती है। उधर, बैंक में जमा 5 लाख रुपये तक का डिपॉजिट ही सेक्योर माना जाता है। इसकी वजह DICGC की गाइडलाइंस है। इसका मतलब है कि बैंक के किसी वजह से दिवालिया हो जाने पर ग्राहकों को बैंकों की तरफ से 5 लाख रुपये तक की भरपाई की जाती है। अगर किसी ग्राहक का ज्यादा पैसा एफडी में था तो भी उसे 5 लाख रुपये ही वापस मिल पाएंगे।
