सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी बना सकती है दिवालिया, जानिए क्यों जरूरी है हेल्थ, मोटर और होम इंश्योरेंस?


सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी बना सकती है दिवालिया, जानिए क्यों जरूरी है हेल्थ, मोटर और होम इंश्योरेंस?
Insurance coverage Significance in India: भारत में बीमा अब सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि आपकी आर्थिक सुरक्षा का अहम हिस्सा बन चुका है। कोई भी मेडिकल इमरजेंसी, सड़क हादसा या प्राकृतिक आपदा कई परिवारों को वित्तीय संकट में डाल सकती है। और सबसे बड़ी बात कि ऐसा हर दिन हो रहा है। इसके बावजूद देश की बड़ी आबादी अभी भी बीमा को गंभीरता से नहीं लेती।गंभीर बीमारियों, एक्सीडेंट्स और प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए बीमा की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि बीमा न होना अब अपनी सारी जमा-पूंजी को दांव पर लगाने जैसा हो सकता है।भारत में बीमा की पहुंच कम क्यों है?संबंधित खबरेंगो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के सीएमओ और डायरेक्ट सेल्स हेड विवेक चतुर्वेदी कहते हैं, “इंश्योरेंस ओवरऑल फाइनेंशियल प्लानिंग का अहम हिस्सा होना चाहिए।” लेकिन, चिंता की बात ये है कि भारत में नॉन-लाइफ इंश्योरेंस की पहुंच अभी भी 1% से भी कम है। यह दुनिया के अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों से काफी पीछे है।इसकी दो मुख्य वजहें हैं। पहली, बीमा के प्रति जागरूकता की कमी और दूसरी इसकी सीमित उपलब्धता। यही वजह है कि जब कोई गंभीर बीमारी, हादसा या प्राकृतिक आपदा अचानक दस्तक देती है, तब करोड़ों लोग आर्थिक तबाही के मुहाने पर खड़े मिलते हैं।मोटर बीमा: सड़क पर बिना कवच के सफरभारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। फिर भी देश में 50% से ज्यादा वाहन बिना जरूरी थर्ड-पार्टी मोटर इंश्योरेंस के चलते हैं। इसके साथ ही बहुत से लोग ‘ओन डैमेज कवर’ जैसी अहम सुरक्षा भी नहीं लेते।चतुर्वेदी के मुताबिक, यह एक बड़ी चूक है। एक अच्छा मोटर इंश्योरेंस न सिर्फ गाड़ी की मरम्मत में मदद करता है, बल्कि किसी हादसे की स्थिति में कानूनी और आर्थिक जिम्मेदारी से भी राहत देता है। ये बीमा ड्राइवर, सवारियों और पैदल चलने वालों की सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाता है।स्वास्थ्य बीमा: मेडिकल दिवालियापन से बचावबीमारियां कभी भी और किसी को भी आ सकती हैं। और आज के इलाज के खर्चों को देखते हुए, एक बड़ी अस्पताल की फीस भी किसी की सालों की बचत को खत्म कर सकती है।चतुर्वेदी स्पष्ट कहते हैं, “कई भारतीय दिवालिया होने से सिर्फ एक बड़ी मेडिकल इमरजेंसी से दूर हैं।” जब बीमा नहीं होता, तो लोग अपनी एफडी तोड़ते हैं, बच्चों की पढ़ाई के पैसे निकालते हैं या कर्ज में डूब जाते हैं।हेल्थ इंश्योरेंस अब सिर्फ अस्पताल में भर्ती तक सीमित नहीं रहा। OPD, डायग्नोस्टिक्स, प्रिवेंटिव चेकअप, और यहां तक कि महंगे इलाज जैसे लिवर ट्रांसप्लांट और पोस्ट-ऑप केयर भी कवर होते हैं।Care Well being Insurance coverage के डिस्ट्रीब्यूशन हेड अजय शाह बताते हैं कि फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, और सिरोसिस जैसी बीमारियां चुपचाप बढ़ रही हैं, और जब तक पता चलता है तब तक इलाज काफी महंगा हो चुका होता है।होम इंश्योरेंस: जिस पर सबकुछ टिका हैभारत में कई लोग कार और हेल्थ का बीमा तो कराते हैं, लेकिन घर का बीमा करना भूल जाते हैं। जबकि वही सबसे बड़ी संपत्ति होती है।चतुर्वेदी सलाह देते हैं कि घर के लिए स्ट्रक्चर और कंटेंट दोनों का बीमा करवाना चाहिए ताकि आग, चोरी या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में नुकसान से बचा जा सके।बीमा सिर्फ पैसे नहीं, सुरक्षा की भावना भी देता हैबीमा का मतलब सिर्फ क्लेम मिलना नहीं है। यह उस समय भी मदद करता है जब इंसान सबसे असहाय महसूस करता है। Livasa Hospital, Mohali के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा बताते हैं कि बीमा से मरीजों को न सिर्फ इलाज में मदद मिलती है, बल्कि उन्हें भावनात्मक सहयोग भी मिलता है।एक्सपर्ट का मानना है कि बीमा अब आपकी ‘फाइनेंशियल सीट बेल्ट’ है। चाहे गाड़ी हो, शरीर हो या घर- बिना बीमा के चलना सीधे खतरे से खेलने जैसा है।यह भी पढ़ें : Well being Insurance coverage: बुजुर्गों को भी मिल सकता है सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस, ये हैं 5 आसान तरीके

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