पहली सैलरी से क्या करें और क्या नहीं? इन 7 गलतियों से बचेंगे तो सिक्योर होगा फाइनेंशियल फ्यूचर


पहली सैलरी से क्या करें और क्या नहीं? इन 7 गलतियों से बचेंगे तो सिक्योर होगा फाइनेंशियल फ्यूचर
Monetary Errors: पहली नौकरी और पहली सैलरी का रोमांच हर युवा के लिए खास होता है। लेकिन, यही वक्त आर्थिक अनुशासन की नींव डालने का भी होता है। कम उम्र में लिए गए फाइनेंशियल फैसले ही आगे चलकर आर्थिक स्थिरता या असुरक्षा तय करते हैं। फाइनेंशियल एक्सपर्ट मानते हैं कि युवा कमाई के शुरुआती वर्षों में कुछ आम लेकिन गंभीर आर्थिक गलतियां करते हैं। अगर इनसे बचा जाए, तो उनका आर्थिक भविष्य सुरक्षित हो सकता है। साथ ही, वे बेवजह कर्ज और तनाव के जाल में फंसने से भी बच सकते हैं।आइए जानते हैं उन 7 बड़ी गलतियों के बारे में, जो युवा प्रोफेशनल्स पहली सैलरी पाने के बाद अक्सर करते हैं। साथ ही, उनसे बचने के व्यावहारिक उपाय के बारे में भी जानेंगे।1. बजट न बनाने से खर्च का ट्रैक बिगड़नासंबंधित खबरेंअक्सर युवा पहली सैलरी मिलते ही जमकर खर्च करना शुरू कर देते हैं, जैसे कि नए गैजेट्स खरीदना, बाहर खाना, घूमना-फिरना। ये सब गलत नहीं है, लेकिन बजट न होना सबसे पहली और सबसे बड़ी गलती बन जाती है। बिना प्लान किए खर्च करने से न सेविंग हो पाती है, न निवेश। एक सिंपल मंथली बजट बनाना और उसके मुताबिक चलना लंबे समय में फाइनेंशियल बैलेंस को आसान बना देता है।2. हर महीने सैलरी पर पूरी तरह निर्भर रहना’पे चेक टू पे चेक’ जीने की आदत यानी महीने के अंत में बैलेंस शून्य। यह न सिर्फ मानसिक तनाव का कारण बनता है, बल्कि किसी भी इमरजेंसी में भारी पड़ सकता है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि सैलरी का कम से कम 20% हिस्सा बचत या इमरजेंसी फंड में जाना चाहिए।3. रिटायरमेंट की प्लानिंग को टालनायुवा अक्सर सोचते हैं कि रिटायरमेंट तो अभी दूर की बात है। लेकिन सच्चाई ये है कि जितनी जल्दी निवेश शुरू किया जाए, उतना ही कम अमाउंट लगाकर बड़ा रिटायरमेंट फंड तैयार किया जा सकता है। कंपाउंडिंग का असर वक्त के साथ ही दिखता है। इसलिए आपको पहली ही सैलरी से बचत और निवेश की आदत डालनी चाहिए।4. क्रेडिट कार्ड और कर्ज का लालचपहली कमाई के साथ अक्सर क्रेडिट कार्ड, BNPL (Purchase Now Pay Later) जैसे ऑफर लुभाते हैं। लेकिन इन्हीं साधनों से बिना प्लानिंग खर्च करने पर ब्याज दरें सिर चढ़ जाती हैं और कर्ज का जाल बन जाता है। निजी खर्चों के लिए कर्ज से बचना और समय पर रीपेमेंट करना फाइनेंशियल हेल्थ के लिए जरूरी है।5. इमरजेंसी फंड को नजरअंदाज करनाकोई मेडिकल इमरजेंसी, नौकरी से निकाला जाना या पारिवारिक संकट… इनसे निपटने के लिए इमरजेंसी फंड बेहद जरूरी है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट की राय है कि ऐसे फंड में कम से कम 3 से 6 महीनों के खर्च जितनी रकम होनी चाहिए। इससे आप अचानक आने वाली अनचाही मुश्किलों से बेहतर तरीके से निपट पाएंगे।6. लाइफस्टाइल इंफ्लेशन की चपेट में आनाजैसे ही इनकम बढ़ती है, खर्च भी अपने आप बढ़ जाता है। इसे ही लाइफस्टाइल इंफ्लेशन कहते हैं। युवाओं को चाहिए कि अपने खर्च और जरूरतों के बीच अंतर समझें और दिखावे की बजाय लॉन्ग टर्म गोल्स पर ध्यान दें। अगर कोई महंगा गैजेट या कपड़े ले रहे हैं, तो एक बार खुद से जरूर सवाल करें कि क्या यह वाकई जरूरी है।7. फाइनेंशियल लिटरेसी की कमीभारत में स्कूल-कॉलेजों में वित्तीय साक्षरता पर बहुत कम फोकस होता है। नतीजतन, युवा निवेश, टैक्स और सेविंग के बेसिक कॉन्सेप्ट नहीं समझ पाते और पहली नौकरी के बाद अनहद खर्च शुरू कर देते हैं। अगर शुरू से ही फाइनेंशियल लिटरेसी पर ध्यान दिया जाए, जैसे कि किताब, पॉडकास्ट और विश्वसनीय स्रोत से तो गलतियों से बचना संभव है।आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि पहली सैलरी बेशक जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन ये जिम्मेदारी का भी संकेत है। अगर शुरुआत से ही सही फाइनेंशियल आदतें अपनाई जाएं- जैसे बजट बनाना, कर्ज से बचना और रिटायरमेंट की तैयारी तो आपका भविष्य कहीं अधिक सुरक्षित और तनावमुक्त बन सकता है।यह भी पढ़ें : Retirement Planning: जल्दी रिटायर होना चाहते हैं? कितना चाहिए होगा फंड, किन बातों का रखना पड़ेगा ध्यान?

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