Credit score Card Defined: क्रेडिट कार्ड डिजिटल क्रांति के दौर में सबसे अहम पेमेंट टूल में से एक बनकर उभरा है। फिर चाहे बात जरूरी बिल भरने की हो, या फिर शॉपिंग की। लेकिन,क्या आपने कभी सोचा है कि आपके क्रेडिट कार्ड पर दर्ज 15 या 16 अंकों की संख्या असल में होती क्या है? यह सिर्फ रैंडम नंबर नहीं, बल्कि एक तय पैटर्न के तहत तय सीरीज है। इसका हर अंक किसी खास जानकारी को बताता है। इसी तरह एक्सपायरी डेट और CVV की अपनी खास अहमियत होती है।कैसे तय होती है क्रेडिट कार्ड की संख्या?क्रेडिट कार्ड नंबर तीन हिस्सों में बंटा होता है। आइए इसे डिटेल में समझते हैं:संबंधित खबरें1. इश्युअर आइडेंटिफिकेशन नंबर (IIN)क्रेडिट कार्ड नंबर की शुरुआत के 6 से 8 अंक IIN या BIN (बैंक आइडेंटिफिकेशन नंबर) कहलाते हैं। ये उस बैंक या वित्तीय संस्था की पहचान कराते हैं, जिसने कार्ड जारी किया है। इससे जरिए आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्रेडिट कार्ड HDFC, SBI, एक्सिस बैंक या किसी अन्य बैंक से जारी हुआ है।2. अकाउंट नंबरइसके बाद के अंक कार्डधारक के खाते की यूनिक पहचान होते हैं। यह हिस्सा सुनिश्चित करता है कि ट्रांजैक्शन संबंधित व्यक्ति के खाते से ही हो। यह सिक्योरिटी के लिहाज से काफी अहम नंबर हो जाता है।3. चेक डिजिट:आखिरी अंक को ‘चेक डिजिट’ कहा जाता है। यह खास किस्म के मैथमेटिकल एल्गोरिदम (जैसे लुहन एल्गोरिदम) के जरिए पूरे नंबर की वैधता जांचता है। इसका मकसद फर्जी कार्ड नंबरों को पहचान से बाहर करना है।एक्सपायरी डेट क्यों जरूरी है?हर कार्ड पर एक MM/YY फॉर्मेट में एक्सपायरी डेट छपी होती है। यह वह डेट है, जिसके बाद कार्ड वैध नहीं रहता। कार्डधारक को उसके बाद बैंक से नया कार्ड लेना होता है। इसकी दो प्रमुख वजहें होती हैं: एक्सपायरी डेट होने से क्रेडिट कार्ड समय-समय पर नए सेफ्टी फीचर्स के साथ अपडेट होता रहता है। इससे हैकरों के लिए कार्ड डिटेल चुराना मुश्किल हो जाता है। क्रेडिट कार्ड की मैग्नेटिक स्ट्रिप, चिप जैसी फिजिकल कंडीशन दुरुस्त रहने की भी एक सीमा होती है। इसलिए हर कुछ साल में कार्ड बदल दिया जाता है। CVV: ऑनलाइन सिक्योरिटी की पहली दीवारक्रेडिट कार्ड के पीछे तीन या चार अंकों का एक कोड होता है, जिसे CVV (Card Verification Worth) या CVC (Card Verification Code) कहा जाता है। यह कोड कार्ड की भौतिक मौजूदगी को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में प्रमाणित करता है।CVV को कार्ड की मैग्नेटिक स्ट्रिप या चिप में स्टोर नहीं किया जाता। इसलिए इसे चोरी करना कठिन होता है। यही कारण है कि ऑनलाइन पेमेंट के दौरान CVV अनिवार्य रूप से मांगा जाता है, ताकि अगर साइबर क्रिमिनल ने ऑनलाइन डिटेल चुरा ली हो, तो उसे CVV का पता न हो।यह भी पढ़ें : Defined: छोटा घर खरीदकर भी पूरा कर सकते हैं बड़े घर का सपना, समझिए प्रॉपर्टी लैडरिंग का पूरा हिसाब
