उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में आम की कीमतों में इस साल भारी गिरावट देखी जा रही है। सबसे ज्यादा असर दसेहरी जैसे लोकप्रिय किस्मों पर पड़ा है, जिसकी कीमत 60 रुपये प्रति किलो से गिरकर अब 40–45 रुपये प्रति किलो हो गई है। किसानों और ट्रेडर्स का कहना है कि इस गिरावट की वजह बंपर उत्पादन और समय से पहले आम तोड़ना है।उत्तर प्रदेश में 40% ज्यादा उत्पादनउत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है, इस साल रिकॉर्ड उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। मंगल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एस इन्सराम अली ने के मुताबिक इस साल यूपी में आम का उत्पादन करीब 35 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले साल यह 25 लाख मीट्रिक टन था।संबंधित खबरेंउन्होंने बताया कि इस बार पेड़ों पर 100% फूल आए थे, जिससे उत्पादन बढ़ा। साथ ही, मौसम विभाग ने समय से पहले और भारी बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके कारण किसानों ने आम समय से पहले तोड़ लिए, ताकि फसल खराब न हो।आगे और गिर सकते हैं दामअली ने आगे कहा कि आने वाले हफ्तों में आम की कीमतों में बढ़ोतरी की कोई उम्मीद नहीं है। आम बाजारों में अच्छी मात्रा में पहुंच रहे हैं और डिमांड कम है, जिससे दाम दबे हुए हैं।दक्षिण भारत में भी आम के दाम गिरेआंध्र प्रदेश के तिरुपति और चित्तूर जिलों में उगने वाले टोपरुरी आम की कीमतों में भी भारी गिरावट देखी गई है। वजह यह है कि मैंगो पल्प फैक्ट्रियों ने अभी तक किसानों से आम की खरीद शुरू नहीं की है।एक लोकल ट्रेडर के मुताबिक पिछले साल का स्टॉक अब भी बचा है, इसलिए फैक्ट्रियां अभी आम नहीं खरीद रही हैं। किसानों ने बारिश से बचने के लिए जल्दी आम तोड़ लिए हैं।पश्चिम बंगाल में भी कीमतें आधी हुईंकोलकाता के आम व्यापारी प्रसांता पाल के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में भी अच्छी क्वालिटी के आम 80 रुपये प्रति किलो से गिरकर 45–50 रुपये प्रति किलो में बिक रहे हैं। वहां भी समय से पहले तोड़ने और ज्यादा उत्पादन ने कीमतों पर दबाव डाला है।भारत अभी भी नंबर 1 उत्पादक2024 में वैश्विक आम उत्पादन करीब 2.5 करोड़ मीट्रिक टन रहा, जिसमें भारत अकेले 50% उत्पादन के साथ सबसे आगे है। भारत के बाद चीन (3.8 मिलियन टन) और इंडोनेशिया (3.6 मिलियन टन) का नंबर आता है। भारत के कुल आम उत्पादन में उत्तर प्रदेश का हिस्सा 20% है। देश भर में आम का प्रोडक्शन इस साल बंपर है, लेकिन समय से पहले तोड़ने और मांग में कमी के चलते किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है। आम लोगों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन किसानों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
